" जो रुक गया वो ठहर गया,जो बढता गया वो जीत गया.
जिन्दगी एक गीत हैं, जो गा गया , वो सीख गया जो थक गया वो हार गया.
धुंध कितनी गहरी क्यों न हो,उसे हर हाल में छटना ही हैं,
आये कितने ही बुरे पल वक़्त के हाथो उन्हें भी हारना ही हैं,
तू लड़ जब तक सांस हैं ज़िन्दगी एक ज़ंग हैं, हर हाल मैं जीतना ही हैं.
मत दे कोई साथ तेरा , वो रब तेरे साथ हैं चला चल अकेले इस राह पर, आगे बहुत उजाला हैं.
क्यों परवाह करता हैं राहो के काँटों की,ये भी फूल बन जायेगे,
तू चला था जिस रास्ते, दुनिया उसी रास्ते पर आएगी, आशा और होंसले तेरे ताकत हैं ,
जीतने का जूनून तेरे साथ हैं ,तू हर हाल मैं जीतेगा, इस बात का यकीन कर ,
चल चलाचल उस राह पर ,जहा फिर हर चीज़ हसीं हैं ."
-आनंद मेहरा, 30 सितम्बर