पतझड़ के मंज़र से कभी दुःखी मत होना,
बहुत जल्द दरख़्तों में पत्ते पड़ने वाले हैं।
नेताओं की हरकतों को पागलपन न समझना,
ये तो अविलम्ब कुत्ते की मौत मरने वाले हैं।
आखिर कब तक उन रिश्तों को बचाकर रखोगे?
जो थोड़ी भी हवा में आकर सड़ने वाले हैं।
शिखर-वार्ता को बॉर्डर की सच्चाई न समझो,
मौका मिलते ही ये सैनिक लड़ने वाले हैं।
अभी क्या, अभी तो चाँद पर जा रहे हैं
थोड़ा सब्र करो, कुछ ही दिनों में तारे पकड़ने वाले हैं।
तुम तो एक अरब तेरह करोड़ पर घबरा गयेजबकि पचास साल में,
दो अरब तक बढ़ने वाले हैं।
बहनो! गुंडों से बचाव, खुद ही करना सीख लोयह न सोचो,
पुलिसवाले इन्हें जकड़ने वाले हैं।
Saturday, December 22, 2007
Indian Youth Poem
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